इस राज्य में किसान कीटनाशक और उर्वरक की जगह देशी दारू का छिड़काव कर रहे हैं
किसान पंकज का कहना है, कि एक एकड़ भूमि में 500 एमएल देसी शराब का छिड़काव किया जाता है। इससे फसलीय उत्पादन में वृद्धि होने की बात कही जा रही है। ऐसे तो किसान बेहतरीन उत्पादन के लिए खेतों में उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। परंतु, मध्य प्रदेश के कुछ किसान पैदावार बढ़ाने के लिए अजीबोगरीब तरीका अपना रहे हैं। जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। यहां के किसान दलहन के उत्पादन में बढ़ोत्तरी करने के लिए फसलों को देसी शराब पिला रहे हैं। हालांकि, इससे फसलों को कोई हानि नहीं पहुंचने का दावा किया जा रहा है। किसानों का यह मानना है, कि ऐसा करने से दलहन की पैदावार बढ़ जाती है।इस जनपद के किसान फसल को पिला रहे देशी दारू
मीडिया के अनुसार, नर्मदापुरम जनपद में किसानों ने ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती की है। यहां पर किसान मूंग की दोगुनी पैदावार लेने के लिए फसल पर देसी दारू का छिड़काव कर रहे हैं। किसानों का यह भी कहना है, कि इंसान की भांति पौधे भी दारू पीते हैं। इससे फसलों का उत्पादन बढ़ जाता है। कहा जा रहा है, कि नर्मदापुरम के अतिरिक्त अन्य दूसरे जनपदों में भी किसान खेती की इस विधि को अपना रहे हैं। किसानों का कहना है, कि आगामी दिनों में पूरे राज्य में मूंग की फसल को देसी दारू पिलाने का चलन चालू हो जाएगा। इससे राज्य में मूंग का उत्पादन बढ़ जाएगा।किसानों ने देसी दारू के छिड़काव को लेकर क्या कहा है
दरअसल, जनपद के किसान देसी दारू को कीटनाशक के तौर पर फसलों के ऊपर छिड़काव करते हैं। किसानों ने कहा है, कि देसी दारू को पानी में मिलाकर स्प्रे मशीन के जरिए से फसल पर छिड़काव किया जाता है। इससे कीट- पतंग भी मर जाते हैं। किसानों के मुताबिक, रासायनिक कीटनाशकों का छिड़काव करने से हम लोगों की सेहत पर भी प्रभाव पड़ता था। कीटनाशक का छिड़काव करने वाले इंसान की आंखों में तेज जलन होने लगती है। इतना ही नहीं सिर में भी काफी दर्द होता है। बहुत बार तो यह भी देखा गया है, कि किसान बीमार भी पड़ जाते हैं। परंतु, देसी दारू के साथ इस प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है।ये भी पढ़ें: अब खेतों में कीटनाशक की जरूरत नहीं पड़ेगी, अपनाएं यह आधुनिक तरीका
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक केके मिश्रा का शराब छिड़काव पर क्या कहना है
जानकारी के लिए बतादें, कि कुछ स्थानीय किसानों का ऐसा मानना है, कि देसी दारू एक प्रकार से जैविक दवा है। यह रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में काफी सस्ती भी होती है। ऐसे में किसानों की खेती पर होने वाली लागत कम हो जाती है। स्थानीय किसान पंकज ने कहा है, कि एक एकड़ जमीन पर 500 एमएल देसी शराब का छिड़काव किया जाता है। 20 लीटर जल में 100 एमएल देसी शराब का मिश्रण करके पौधों के ऊपर छिड़काव किया जाता है। साथ ही, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक केके मिश्रा ने कहा है, कि ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल में शराब का छिड़काव करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इससे फसल को किसी तरह का कोई लाभ भी नहीं होने वाला है, बल्कि साइड इफेक्ट ही हो सकता है। ऐसी स्थिति में फसलों की पैदावार में इजाफा होने की जगह गिरावट हो सकती है।
23-May-2023